"रहमत का फ़रिश्ता"(रुबाइ)

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"चमक तारों की माथे पर  न  झूमर  है  न  टीका  है !  नज़र के सामने वह चांद  पूनम  का  भी  फीका  है !!  गिरा सकती है बिजली को  वो  अबरू  के ...

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